पतंगों का खेल हैं,
मानों दो दिलों का मेल हैं।
धरती-अंबर का मिलन,
पतंग और दोर का जीवन।
पतंगों से भर जाएगा,
आकाश का सूनापन।
पतंगों का लड़कपन भी,
पतंगों की जवानी ।
सदीयों पूरानी हैं,
इन पतंग की कहानी।
नीलगगन खिल उठेगा,
सप्तरंगी पतंगो से ।
इनसान झूम उठेगा ,
इन पतंगों के पंख से।
सुबह से लेकर शाम तक,
लहराएगा रात तक।
पतंग आकाश को छूने की,
ख्वाहिश रखता हैं।
"गीता"की ख्वाहिश हैं,
फ्लाइंग ध स्काय ।
मन पतंग की उडान भरता है जब,
तब हवा भी साथ निभाती है,,,,,