मुझे इन परिंदो की बाते समज तो नहीं आती, पर फिर भी थोड़ा अंदाज़ा लगाया है, आने वाले दो दिनों में उनके मन की व्यथा कुछ इस्तरह बयां करने की कोशिश की है।( रेशम की डोर से दिल सा पतंग उड़ा तो दिया है,
खुदा ही बचाए अब मेरी ज़िंदगी नादान परिंदा हूँ। )
please save birds 🦅