My New Poem ...!!!
ए नादाँ इन्सान..!! तेरे हालातों की ,,
फ़िक्र
तुं हरगिज़ हरगिज़ हरगिज़ ना कर,
हौसले तेरे ख़ुद ही संभल जाएंगे ,,
ए बंदे रब के
बस तू हर हालमें खुश रहा कर,
बे-शक हे कोइ तो मसीहा इस
मिट्टी के
कमजोर ढाँचे का, तुं ग़म ना कर ,,
आए ऑधी तुफाँ या हो सैलाबों
का जज़ीरा
है हर-सु प्रभु, तुं युं तंज़ ना कर ,,
बदलते बदलते बदलता है यहाँ
वक़्त
बे-वक़्त, तुं इसकी आरज़ू ना कर ,,
बनाया उसी ने हैवान-औ-इन्सान
भी क़ुदरत से
अपनी,तुं शक-औ-सुबाँ ना कर ,,
तेरी सौच-से परे हैं उसकी हस्ती
ग़लत-फ़हमियाँ से
अपनी, तुं उसे तंग-दस्त ना कर ,,
हर जुर्म को अंजाम तक पहुँचना है
रद्द कभी फेंसले
प्रभुके होते नही, तुं बस यक़ीन कम ना कर।
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