My New Poem...!!!
नही आता मांगना तो
खाली हाथ फैला दो..
रब है..!! वह बंध लबों की
बोलियाँ भी बेशक सुनता है...!!
आईना अपने दिल को जनाब
आप खुद ही खुद बना लो..
इम्तियाज़ हलाल-औ-हरामका
वह ख़ुद-ब-खुद दिखाता है ..!!
कौन कहता है ना-बीना देख
नही पाते ब-खुबी गौर करो..
ना-बीना ही सभी हादसों-से
आबाद गुजर के मंज़िल पाते हैं..!!
खिलवाड़-औ-लालच की चौखट
पर बीना-से अंधे ही दम तोड़ते हैं...
परखता प्रभु भी रोशनी छीन के भी
दे के भी,बहार भी अंदर भी वही है...!!
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