☀ॐ भूर् भुवः स्वः।
तत् सवितुर्वरेण्यं।
भर्गो देवस्य धीमहि।
धियो यो नः प्रचोदयात् ॥☀
🔅हिन्दी में भावार्थ🔅
उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अपनी अन्तरात्मा में धारण करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करे।
मंत्र जप के लाभ
गायत्री मंत्र का नियमित रुप से सात बार जप करने से व्यक्ति के आसपास नकारात्मक शक्तियाँ बिलकुल नहीं आती।
जप से कई प्रकार के लाभ होते हैं, व्यक्ति का तेज बढ़ता है और मानसिक चिंताओं से मुक्ति मिलती है] बौद्धिक क्षमता और मेधाशक्ति यानी स्मरणशक्ति बढ़ती है।
गायत्री मंत्र में चौबीस अक्षर होते हैं, यह 24 अक्षर चौबीस शक्तियों-सिद्धियों के प्रतीक हैं।
इसी कारण ऋषियों ने गायत्री मंत्र को सभी प्रकार की मनोकामना को पूर्ण करने वाला बताया है।
ब्रह्मदत्त त्यागी हापुड़