कुछ उजाले कम भले हों -----
दीप पथ में हम जलायें,राह में बढ़ते रहें।
कुछ उजाले कम भले हों, दीप पर जलते रहें।।
दौड़ना ही जिंदगी है,दर्द सब भगते रहें।
जिंदगी की राह में अब,रात दिन चलते रहें।
सांस यदि रुक भी गई तो,दीप पर जलते रहें।।
जिन्दगी की राह में तो, कुछ मुसीबत आयेंगी।
तम घिरा घनघोर हो जब,भोर भी तो आयेगी।
आस की किरणें सहेजें,दीप पर जलते रहें।।
काफिला छोटा मगर है,साथ में तो चल रहे।
सत्य सदियों से विजय है,असत्य तो छलते रहे।
रावणों का अंत होगा,दीप पर जलते रहें।।
दीप का तो काम जलना,हर तमस को दूर करना।
कुछ हमारा भी तकाजा,दीप की लौ तेज रखना।
टूटे न अवधारणा यह,दीप पर जलते रहें।।
बाधायें तो होंगी खड़ी,उनसे डरना है क्यों?
जब सामने आ डटीं हों,पीछे हटना है क्यों?
इम्तिहानों की घड़ी है,दीप पर जलते रहें।।
दीप पथ में हम जलायें,राह में बढ़ते रहें।
कुछ उजाले कम भले हों, दीप पर जलते रहें।।
मनोज कुमार शुक्ल "मनोज "