जय श्री राम
जय बजरंगबली हनुमान
जैसा मूड़ हो वैसा ही मंजर होता है हर मौसम इंसान के अंदर होता है यह बात अलग है उसको महसूस करने की वरना स्वामी कहाँ सब राम... कहाँ भक्त हर हनुमान होता है.. ब्रह्मदत्त
कलम का दोष नहीं होता अच्छे या बुरे शब्दों के लिए यह दोष हमारी भावनाओं का है जो अच्छी या बुरी बनती हैं... हमारी भावनाएं समय के साथ और वह कागज पर अंकित हो जाती हैं हमारे वजूद और हमारी पहचान को लेकर.. ब्रह्मदत्त
बात तो केवल महसूस करने की है वरना हर इंसान अपने अंदर सिकंदर होता है... ब्रह्मदत्त त्यागी