कोई बिठा दिया है जैसे तुंग शिखर के भयानक खुरदरे कगार के तट पर;इन शिखरों की यात्राओं से डर के बुलबुले मेरे शून्य में तैरते हैं,इस आभास के स्पर्श की गहरी खोह से खुद को निकालने का मार्ग प्रशस्त कर जिंदगी को उन्मुक्त उड़ान भरने का अवसर प्रदान करना है। शिव भरोस तिवारी 'हमदर्द'