*तुलसी देखि सुबेषु भूलहिं मूढ़ न चतुर नर |*
*सुंदर केकिहि पेखु बचन सुधा सम असन अहि ||*
अर्थ : गोस्वामीजी कहते हैं कि सुंदर वेष देखकर न केवल मूर्ख अपितु चतुर मनुष्य भी धोखा खा जाते हैं |सुंदर मोर को ही देख लो उसका वचन तो अमृत के समान है लेकिन आहार साँप का है |
*जय जय श्रीराम*???