ग़ज़ल
ज़माने में जरूरत पर इबादत लोग करते हैं।
यहां इंसान क्या रब से शिकायत लोग करते हैं।।
बड़ी मतलब की दुनिया है समझ में आ गया यारों।
बिना मतलब किसी पर कब इनायत लोग करते हैं।।
किसी को कामयाबी हद से ज्यादा गर मिली यारों।
न जाने दिल ही दिल में क्यों, अदाबत लोग करते हैं।।
तमन्ना दिल में रखते हैं, जो अपने बेईमानी की।
दिखावे के लिए अक्सर शराफ़त लोग करते हैं।।
गुरूर इंसान का यारों हमेशा नाश करता है।
सहन होता नहीं है तब बगावत लोग करते हैं।।
जो कहते हैं मसाईल कौम के सुलझाएंगे वो ही।
इन्ही कौमों के झगड़ो पर , सियासत लोग करते हैं।।
अजब ही दौर है, सच्चों को नाकामी मिली हर दम।
मगर इस दौर में झूठे हुकूमत लोग करते हैं।।
कलम रावत की करती है उन्हें हर वक्त ही सजदा।
वतन की आबरू पर जो शहादत लोग करते हैं।।
रचनाकार
भरत सिंह रावत
भोपाल
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