संकटों को काटियेगा, और खुशी बांटियेगा,
ग़म की किसी को छाया काली मत दीजिए।
हो सके सनेह, गेह गेह पहुचाईगा।
किंतु किसी को भी बदहाली मत दीजिए।।
प्यास से भरा उदास ,आस ले के आए यदि,
उसको गिलास कभी खाली मत दीजिए।
दुश्मनी निभाना हो तो शीश काट लीजे किंतु,
भूल के किसी को मां की गाली मत दीजिए।।2।।
रचनाकार
भरत सिंह रावत भोपाल
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