अनादरो विलम्बश्च वै
मुख्यम निष्ठुर वचनम,
पश्चतपश्च पञ्चापि
दानस्य दूषणानि च।।
अर्थ – अपमान करके देना, मुंह फेर कर देना, विलम्ब से देना, कठोर वचन बोलकर देना और देने के बाद पछतावा होना। ये सभी पांच क्रियाएं दान को दूषित कर देती है।
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*??आपका दिन मंगलमय हो? ?*