दिल से दिल आपसे मिलाएँ हुए हैं,
कुछ अरमान दिल में दबाएँ हुए हैं।
कैसे इल्जाम दे हम तुम्हें मेरे सनम,
मेरे साथ रहने वाले भी पराए हुए हैं।
खबर मिली, तुम आयोगे मेरी गलीमे,
तेरे सब दीवाने दिल बिछाए हुए हैं।
तेरे रास्ते में जलने वाला चिराग़ था,
नफरत के थपेड़ों से हम बुजए हुए हैं ।
जुर्म इतना ही है, तुमसे मोहब्बत हैं,
सजा में आंखों में आंसू सजाएँ हुए हैं।
मनोज्ञ संतोकी