तेरी आँखों मे ही बसी रहे मेरी आँख,देखे तुज को तेरे सुरमे में सिमिट देना...।
हो साम का आलम हो ठंड सी दिल मे ,बसर करु तेरी गोद ऐसे दो पल दे देना....
गोद पे ही मत रुकना ,तेरी ज़ुल्फो के घने पेड़ की छाँव सुकून के दो हाथ भी देना.....।
कर रहा हु गुस्ताखी या सादगी सी सरारत ,रुकना मत जोर से दो चाटे भी लगा देना....।
बदले बादल बोसम भी युही नही ,जिक्र हो तेरा सच्चाई के साथ दो कदम भी चल देना...।
गिरावट हो न कही मेरे स्वभाव में स्वभाविक हो तुम कही ,
बस हस्ते बिताये ऐसे दो घंटे दे देना....।
नाराजगी भी आयेगी गुस्सा भी फूटेगा ,परेशान हो तो कंधे पर रख कर शर को दो बुन्दे आंखों से बरसा भी देना ..।
चलते चलते अगर थक जाय पैर ,रुकना मत ! पुकार करना, न आ सका तो दो टुकडे कर फेंक देना....।
फुरशत से अपने मन को ,नया रास्ता बताकर मोड़ना ।
फिर क्या ? टूट गया तो क्या हुवा "ह्रदय" का टुकड़ा जोड़ देंना...।
हृदय