बचपन में हम भी आमिर हुए करते थे...
कागज कि कस्तीयो से सुमद्र खरीद लिए करते थे,
आसमान को पतगो से माप लिए करते थे।
बचपन मे हम भी आमिर हुए करते थे...
एक रूपये कि टोफी से दोस्तो के चहरे पर मुस्कान लेए करते थे,
दुसरो कि खुशी मे अपनी खुशी ढुढे लिए करते थे
बचपन मे हम भी आमिर हुए करते थे...
मिट्टी के ढेर से महल बाने लिए करते थे
ख्वाब को एक पल मे सजाया लिए करते थे
बचपन में इस लिए आमिर हुए करते थे
क्यूंकि बचपन को जिया करते थे।