Hindi Quote in Poem by Anil Bhatt

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उनसठ सालो का
बारिश बरस चुका
है ये जिसम पर,
बहोत कुछ सहा है,
और देखा है।
न चाहते हुए भी
कभी नगे तो कभी
कपड़े पहन कर
नहाया हू।
तो कभी बारिश के
पानी से अपनी भूख मिटाई है।
तो कभी बरसते बारिश में भी
सुलगते आशियाना देखे है।
बहते पानी के साथ ना बहेने की
सजा पाई है।
आंखो से बहते समुन्दर को
बारिश में खुशी खुशी छुपाया है।
जिंदगी कहा अपनी मर्जी से
जी पाता है हर इंसान,
मगर जो मिली है उसको
जिंदा दिली से जी ले
उसे ही तो हम आम
इंसान कहते है।

अनिल भट्ट

Hindi Poem by Anil Bhatt : 111280455
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