दिल के कोने कोने चिल्लाते है
आखिर तु ने किया ही क्या है इंतज़ार करते करते,
आखिर सूख गया ऐ दिल मोहब्बत की चाह मैं
और क्या खूब काटी है ना जिंदगी
जो आज आंखे सूख गई रोते रोते,
और कह्ते है जो खामोश रह तु
वो दो लब्जो के लिये गिड़गिड़ाएंगे हमसें,
पेड़ के पत्तों से पूछिए
आखिर कितने दिन...
आखिर में कहता हूं उखाड़ देंगे इस जहां से
#- શુન્યની કલમ -#