दरअसल, दर्द में डुबकी लगाई है,
ज़ख्मों से दोस्ती , खुब निभाई है;
रंग ए नूर , आशियाना महोबत का
बेरंग जिंदगी को , रंगीन बनाई है;
गजब है ढुंढ ले, रा हें वफ़ा गुमसुदा,
कांटे से काटकर ही, जिंदगी पाई है;
उसुल परस्ती में ,डुब् गई है दुनिया,
बेउसुल फितरत ए फन हमने पाई है;
आनंद मुफ्त में, मिल ना पाए कभी,
मौत से मिलने की कसम मैंने खाई है ;