ये पगडंडी मेरे खेतसे होकर गुजरती है।
जहाँ गाँव की गोरी
रोज गुजरती है।
पायल की झंकार से
खिल उठे खेत मेरा,
रोज मेरे सुबह
उस दिल से पुछती है?
क्या तेरे घर का उसे पता नहीं,
क्या तेरी आहट से
वो जानकार नही है।
वो गोरी अपनी खुशियों की महक फैलाती जाये।
उसे पता नही जो तु
नजर बिछायें।
बस नजरें मिलने की देरी है।
खेत की पगडंडी आँगनतक आने की देरी है।