तुम सुन सकते हो
जाने कितनी ही आवाजें
पहचान सकते हो
नामालूम कितने चेहरों को
बोल सकते हो
कितनी ही तरह की भाषायें
पढ़ सकते हो
अनगिनत मुहब्बत की तहरीरें
लिख भी सकते हो
बहुत कुछ जो तुमको सही लगता है
सही उतना ही सही
जो दूसरों की नजर से भी सही और स्पष्ट दिखता है
पर कभी तो डर लगता ही होगा ना
निज क्षणों में सच को जीने में ?
सोचो तो .....