तुम गिरों हम गिरें गिरी हुई हरकत करें। क्या बुरा है उसमें जब जवाँदिल मस्ती करें। यहाँ कुदे वहाँ कुदे ऊचाँई से हम न डरे। क्यों सोचता है गलत पगलें जब दिल आनंदवर्धन करे। नज़रियाँ बदल बशर जब सीमोल्लंघन न करे। कहते है 'सुर्यांश' भैया कैसे जीना ये हम तय करे।