कल आँखों में पानी भर आया।
जब उसने खयालोंकों हकिकत में ढाला।
हाथों में पक़डकर हाथ मेरा पूरा गुलिस्तान घुमाया।
रेत में बाँधे उसने किले,
उसपर अपना नाम लिखाया।
दुनिया की बातों में वक्त बिताया।
सुरज ढलने मुँह लटकाया।
कहती थी समय का पता ही नहीं चला,
लगता तेरे साथ जनम बिताया।
लेकीन,
तेरा बिता दिन एक पल के समान है।
हो जाऊ संतुष्ट कैसे,
अभी आगे और भी
जीवन है।