तूम यूही रूठी रहो जिंदगी भर,
तूमे मनाने में हमारी जिंदगी जाये गुजर।
क्या हो जायेंगा मर गये हम अगर,
हम जैसे पागलो के तो किसे मिल जाते हे नगर नगर।
हमारी साहित्य की नायिका ऐसे रूठेगी अगर,
तो क्या करेंगे हम अधूरे साहित्य के साथ जीकर।
मिलना हुआ बन्द बातो की तो नही हुई अनबन,
तो फिर बीन मुस्कान न बोलने का क्या हे कारण,
तूम यूही रूठी रहो जिंदगी भर,
तूमे मनाने में हमारी जिंदगी जाये गुजर।