है कोई जो मुझे अपना दीवाना बना ले
है कोई जो मुझसे मेरा गम छुडा ले
मुझमें समाने आए अनेकों
है कोई जो मुझको खुद मे समाले
प्यासा हूँ मैं सदियों से शायद
मेरी प्यास सरवर न बुझा पाऐगा
मेरे इश्क दी प्यास बुझाने को
कोई रसदार समंदर आयेगा
मैं वह बिकाऊ फूल नहीं
जो हर दर पर चढ जाएगा
यह चढे शीष पर त्रिभुवि के
या जंगल में मिट जाऐगा
क्या बनी है कोई हीर मेरे लिए
जो मुझपर वारी जाएगी
मुझ सूखे पतझड के मौसम में
इश्क का रंग चढाएगी
है कोई इस जहाँ में क्या
जो मेरा साया बनकर आऐगी
अपनी कदंबिनी बांहो के
झूले पर थपकी मार सुलाएगी
है कोई जो खुद को
मुझ पर फिदा कर पाऐगा
उस प्रेमी की आंखों में
ये भुवन अमिय समाऐगा।
गर हमें पाना इतना आसां होता
तो हमारे दीदार को अश्क खुद न रोता
भुवन/भुवि स्वराज