देखी नहीं जाती यह दुनिया की सोच की मानसिकता जो आज भी उन्हीं पुरानी बेड़ियों मै जकड़ी हुई है । वहीं जात पात के बंधन , वहीं नर नारी में फर्क । वहीं दहेज प्रथा , पराई स्त्री पर नजर । देश आज मगल ग्रह पर चला गया पर इंसान कि मनोस्थिति आज भी जानवरो से गई गुजरी है । जब देश पदल रहा है तो लोगो की सोच क्यो नहीं ? । हमे पुराने रस्मो रवाजो को पीछे छोड़ एक बेहतर कल और एक बेहतर भारत की तरफ बढ़ना पड़ेगा ।