नारेबाजी करने से प्रत्याशी का रक्त संचार तेज हो जाता है। वह स्वयं को कुछ समझने लगता है और जोश में जनता के लिए वादे कर देता है। नारेबाजी के बदले में जनता को मिलते हैं वादे, वादे जो सुनने में अच्छे लगते हैं। इसलिए नारेबाजी द्विपक्षीय लाभदायी प्रक्रिया है। साथ ही जब वादे पूरे नहीं होते तब जनता में असंतोष की वृद्धि होती है। असंतोष से नए नेता पैदा होते हैं और इस प्रकार राजनीति का ये क्रम चलता रहता है।
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#महानपुर_के_नेता
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