Hindi Quote in Book-Review by Piyush

Book-Review quotes are very popular on BitesApp with millions of authors writing small inspirational quotes in Hindi daily and inspiring the readers, you can start writing today and fulfill your life of becoming the quotes writer or poem writer.

एक_मन्दिर_था ।
उसमे सब लोग पगार पर थे।
आरती वाला,
पूजा कराने वाला आदमी,
घण्टा बजाने वाल भी पगार पर था...
घण्टा बजाने वाला आदमी आरती के समय भाव के साथ इतना मसगुल हो जाता था कि होश में ही नही रहता था।
घणटा बजाने वाला व्यक्ति पुरे भक्ति भाव से खुद का काम करता था, मन्दिर में आने वाले सभी व्यक्ति भगवान के साथ साथ घण्टा बजाने वाले व्यक्ति के भाव के भी दर्शन करते थे,उसकी भी वाह वाह होती थी...
एक दिन मन्दिर का ट्रस्ट बदल गया,और नये ट्रस्टी ने ऐसा आदेश जारी किया कि अपने मन्दिर में *काम करते सब लोग पढ़े लिखे होना जरूरी है जो पड़े लिखे नही है उन्हें निकाल दिया जाएगा.
उस घण्टा बजाने वाले भाई को ट्रस्टी से कहा कि 'तुम्हारे आज तक का पगार ले लो अब से तुम नौकरी पर मत आना.'
उस घण्टा बजाने वाले व्यक्ति ने कहा, "साहेब भले मई पढ़ा लिखा नही हुँ,परन्तु इस कार्य मैं मेरा भाव भगवान से जुड़ा हुआ है देखो!"
ट्रस्टी ने कहा,"सुन लो तुम पढ़े लिखे नही हो, इसलिए तुम्हे रखने में नही आएगा..."
दूसरे दिन मन्दिर में नये लोगो को रखने में आया. परन्तु आरती में आये लोगो को अब पहले जैसा मजा आता नहीं था घण्टा बजाने वाले व्यक्ति की सभी को कमी महसूस होती थी.
कुछ लोग मिलकर घण्टा बजाने वाले व्यक्ति के घर गए, और विनती करी तुम मन्दिर आओ ।

उस भाई ने जवाब दिया, "मैं आऊंगा तो ट्रस्टी को लगेगा नौकरी लेने के लिए आया है इसलिए आ नहीं सकता हूँ"

वहा आये हुए लोगो ने एक उपाय बताया कि 'मन्दिर के बराबर सामने आपके लिए एक दूकान खोल के देते है. वहाँ आपको बैठना है और आरती के समय घण्टा बजाने आ जाना, फिर कोई नही कहेगा तुमको नौकरी की जरूरत है ..."

उस भाई ने मन्दिर के सामने दूकान शरू की वो इतनी चली कि एक दूकान से सात दूकान और साथ दूकान से एक फेक्ट्री खोली।

अब वो आदमी मर्सिडीज़ से घण्टा बजाने आता था ।
बात पुरानी सी हो गयी।

मन्दिर का ट्रस्टी फिर बदल गया .

नये ट्रस्ट को नया मन्दिर बनाने के लिए दान की जरूरत थी

मन्दिर के नये ट्रस्टी को विचार आया सबसे पहले उस फेक्ट्री के मालिक से बात करके देखते है ..

ट्रस्टी मालिक के पास गया साथ लाख का खर्चा है फेक्ट्री मालिक को बताया।

फैक्ट्री के मालिक ने कोई सवाल किये बिना एक खाली चेक ट्रस्टी के हाथ में दे दिया और कहा चैक भर लो ट्रस्टी ने चैक भरकर उस फैक्ट्री मालिक को वापस दिया । फैक्ट्री मालिक ने चैक को देखा और उस ट्रस्टी को दे दिया।

ट्रस्टी ने चैक हाथ लिया और कहा सिग्नेचर तो बाकी है"

मालिक ने कहा मुझे सिग्नेचर करना नही आता है लाओ अंगुठा मार देता हुँ, "वही चलेगा ..."

ये सुनकर ट्रस्टी चौक गया कहा, "साहब तुम अनपढ़ होकर भी इतनी तरक्की की यदि पढे लिखे होते तो कहाँ होते.

तो हँसते हुए बोला,
"भाई, मैं पढ़ा लिखा होता तो बस मन्दिर में घण्टा बजाते होत!

Hindi Book-Review by Piyush : 111237037
New bites

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now