सत्ता में घुसकर बैठे थे-----
सत्ता में घुसकर बैठे थे, पाकिस्तान दलाल।
न्यूक्लीयर की धौंस दिखाके, करते रहे कमाल।।
तीन सौ सत्तर लागू करके, दिया था लालीपाप।
डंडा झंडा अलग थमाके, हुआ था हमसे पाप।।
पाकिस्तान सपोटर बनके, जड़ को खोद रहे थे।
धन दौलत की झोली भरके, मिलजुल बांट रहे थे।।
स्वर्ग निवासी बनकर कुछ, सत्ता को भोग रहे थे।
दहशत की वोटें पाकर के, विष ही घोल रहे थे।।
काश्मीर जागीर समझके, लूट रहे थे माल।
कुछ सत्ता के वारिस बनके,भूल गये थे काल।।
बकरे की अम्मा भी देखो, कब तक खैर मनाती।
कुर्बानी की इस बेला में, कैसे ईद सुहाती।।
दो विधान औ दो निशान की,थ्योरी को झुठला दी।
एक देश ध्वज संविधान की, सबको डोर थमा दी।।
नापाकों ने सीमा लांघी, उचित समय है आया।
गद्दारों को जेल मिलेगी, सबको निर्णय भाया।।
सात दशक से कभी न सूझा, कुछ को यही मलाल। नापाकी आतंकी हाथों, कितने हुये हलाल।।
बकरीदी पर ईद मुबारक, सबको खुशियां बांटी।
काश्मीर को आजादी दे, मुक्त करायी घाटी।।
लोकतंत्र की करें सुरक्षा, देश भक्ति की जय हो।
हिन्दुस्तान के संविधान की, भारत मां की जय हो।।
मनोज कुमार शुक्ल "मनोज "