कोई अपना सा लगता है.. l
अब ये सपना सा लगता है l
सोचते है... ख़ामोशीयों मे.. तो,
ये प्यार.. सच्चा लगता है... l
आईनाने मे खुद को .. संवारु,
तो.. ये.. चहेरा निखरता हुआ लगता है l
हैरान.. है हम.. ये सिलसिला.. कबसे.. चलरहा है..
जागरहेहे.. हम फ़िरभी.. ये मन सोया सोया सा लगता है l
याकिन तो खुद पे.... बहुत है..
के ये दिल यु ही नहीं पिघलता..
हो न हो कही किसीने..मुमबती को दिलसे
जलाया हुआ लगता है.. l