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Pawan Adhikari

Pawan Adhikari

@pawanadhikari035834


वो भी है

राज के कुकुरो की अलग ख्याती है
क्भोगन को भोग है रोकन को कोई नही
हासिये पर तो दुमिल कुत्ते है।
दोनो यथार्थ नही पर भूखे है
आखिर मानवता क्यो नही समझती
कि वो जिना चाहते है।

पंछी को तो अम्बर प्यारा है पर
धनी को पिजंर बन्द मिठ्ठू
मुफ्त गगन में मुफ्त का गायन है।
पिंजरे में डर का गायन यथार्थ नही है
समझ नही आता कि धनी क्यो नही समझते
कि वो भी मधुर गाते है

मनुष्य को भूख लगी है
तो जरुरी नही वो मानस ही खाये।
अपनी शक्ति के लिए
माँ की शक्ति का हनन यथार्थ नही।
आखिर चमडे का भूखा क्यो नही समझता
स्वामी की तिसरी आंख उसे देख रही है।

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