जानती हु तू कुछ कर नहीं सकता,
मजबुर हैं अपने हालातो पर,
याद तुजे भी आती होगी,
रो लेता होगा कहीं कोने में छुप कर,
जताने की तेरी आदत जो नहीं हैं,
दूरियां तो बहुत हैं तेरे और मेरे बीच,
लेकिन तूने कभी महेसूस ही नहीं होने दी,
चाहता तो तू भी मुजको बहुत हैं,
लेकिन बताने की तेरी आदत जो नहीं हैं,
सम्भल जाता है खुद से,
समझ जाता है खुद से,
महेक जाता है खुद से,
बेपनाह इश्क़ जो करता हैं तू मुझसे।#JK