तेरे बारे में क्या लिखे जब तू ही नहीं पास मेरे , इतने सालो की जान पहचान होने के बाद भी लगता है कि कुछ तो है जो नहीं पता हमे । एक अजीब सी पहेली है , जो जितना भी सुलझाऊ उतना ही उलझती जाती हूं । जान कर भी अनजान हो तुम मेरे लिए , जैसे कोई बिना नाम की किताब हो अंदर क्या है पता नहीं ? । फिर भी अच्छा लगता है तुमसे बात करके , तुमसे मिल कर जैसे कोई बरसो पुरानी मुलाकात है ।