उसका जाना अब मुझे खलता नहीं , उसके बारे मै सोचना अब मुझे भाता नहीं । बहुत इंतज़ार कर लिया उसका जिसको कभी मेरी फिकर ही नहीं थी । इतनी लम्बी दोस्ती को एक झटके मै उसने यू ख़तम किया जैसे में कोई मायने ही नहीं रखती थी उसकी ज़िन्दगी में। जब रिश्ता हम दोनों का था तो वो अकेला ही फैसला कैसे ले सकता था । अब ना उसके आने की आस और नहीं उसके जाने का गम , खुश हूं मैं अपनी ज़िन्दगी मैं की उसके जाने के बाद ही मुझे पता चला कि मैं किसी और के लिए भी खास थी ।