जो इश्क ग़र किया तो सजा मिलनी थी जरूर,
दिल तुझसे लगाके हुए दिल के हाथों मजबूर।
राह में मिले गिरे जो फूल ना उठाया कभी,
कर दिया हजार टुकडे़ दिल उसने मिट्टी में मिलाया अभी।
साँस रोक लूँ या कफन ओढ़ लूँ मैं,
या तेरे इश्क में ये शहर छोड़ दूँ मैं।
साज़ रुक गए और शब्द थम गए,
तू जो ना मिला तो ए कदम थम गए।
मेरी चाहतों को सनम देख ले अगर,
भूल जाएगा अपना ज़मी और अपना शहर।
इंतजार करते करते कहीं थम ना जाए साँसे कहीं,
तू है जिस डगर पर मेरी मंजिल भी वहीं है कहीं।
तू जो हरजाई मेरी रूह में समाया ऐसे,
मैं हूँ एक दुनिया और तू हो पालनहारा जैसे।