कितने शहीद हुए जवान कोन हिन्दू था कौन मुसलमान वो पता नहीं ... कितने अरमान मर गए जीते हुए और मरने के बाद वो पता नहीं...
मंदिर में बैठा हैं... या मसजिद में है तू ए दुनिया चलाने वाले वो पता नहीं... ना गीता पढी ना कुरान.. बस मेरा धर्म महान.. या ईन्सानीयत वो पता नहीं....
कुच्छ भी ना कर पाये मातृभूमि के लिए... क्यों जगडते रहे अपने ही भाईओसे वो पता नहीं... जरा सोचो उन जवानो का दर्द जो हमारे लिए अपनी हर खुशी कुरबान कर देता है ... क्यू वो पता नहीं ... ना राम मंदिर के लिए ना मसजिद के लिए... हमे लडना है उन शहीदो के लिए देश के लिए हर तरीके के विकास के लिए.... ये सोच सबको समजाउ पर केसे.. वो पता नहीं...
ami patel