आज पितृ दिवस के अवसर पर सभी मित्रों को Happy Fathers day
प्यार कोई दिखावे का भाव नही है और न ही जीवनशैली का कोई भाग है । प्यार तो बस हो जाता है । लोगो को पहले प्यार की कहानियाँ सुनाते तो सुना ही होगा । क्या आपको लगता वे सही कहानी सुनाते हैं या अपने मन की कल्पना कहते हैं । पहले प्यार पर आधारित बहुत सारी फिल्में भी देखने को मिलती हैं । जहाँ एक नायक अपनी महबूबा के लिए जान की बाजी लगा देता है । परन्तु क्या यह सम्भव है कि किसी लड़की से जवानी में किया गया प्यार ही पहला प्यार हो ? क्या वे भर्मित नही लगते ?क्या वे अपने पहले प्यार से अनभिज्ञ हैं ? और अनजाने में दूसरे , तीसरे , चौथे .....प्यार को अपना पहला प्यार समझते हैं ।
दरअसल मैं कहना चाहता हूँ कि प्रत्येक व्यक्ति का सबसे पहला प्यार उनके माता पिता से होता है । बिल्कुल निःस्वार्थ , निर्विकार । फिर हम जैसे जैसे बड़े होते हैं , चालक होते हैं और अपने पहले प्यार को भूलने लगते हैं । लेकिन माता पिता हमेशा हमें वैसा ही समझते हैं और धोखा खा जाते हैं । फिर भी प्यार करते हैं ।धन्य है उनका यह प्यार और महान है उनका त्याग जिसका वर्णन करना मेरी लेखनी के लिए आसान नही होगा । हम एक दिन उन्हें याद करके भी क्या साबित करना चाहते हैं कि हम समझदार हैं या वे महान ? हमने माँ की महानता का वर्ण कर भी सकते हैं क्योंकि माँ का प्यार प्रत्यक्ष रूप है । परन्तु पिता जो पूरा जीवन सिर्फ त्याग और बलिदान में लगा देता है और हम देख भी नही पाते ।
आज भी हमारे देश बहुत से पिता अपने बुढ़ापे की सजा भुगत रहे हैं । क्यों ?
आज बहुत सी महिलाओं और पुरुषों के फेसबुक प्रोफाइल पर पितृ दिवस की शुभकामनाओं के पोस्ट देखने को मिलेंगें । लेकिन मेरे मन में एक प्रश्न है कि बुढ़ापे में जिन पिताओं को दो वक्त का भोजन भी नशीब नही होता उसका जिम्मेदार कौन है ? उनके बच्चे , या उनकी बहुएं या फिर दोनों ?
क्या एक बहू बेटी नही बन सकती ? क्या उसका पति सिर्फ बाप या पति बनकर रह जायेगा ? क्या उस बहू के पिता के साथ वैसा ही व्यवहार नही होता होगा ? आखिर उस बुजुर्ग का बेटा कहाँ मर गया ? फिर वह पिता बनकर भी कैसे महान हो पाएगा ?
एक बहू जो अपने सास ससुर को दो वक़्त की रोटी नही दे सकती क्या वह सिर्फ माँ बनकर महान हो जाएगी ?
प्रश्न विचारणीय हैं । आपके उत्तर का इंतजार रहेगा
-Panna