*खुशियाँ कम और*
*अरमान बहुत हैं ।*
*जिसे भी देखो,*
*परेशान बहुत है ।।*
*करीब से देखा तो,*
*निकला रेत का घर ।*
*मगर दूर से इसकी,*
*शान बहुत है ।।*
*कहते हैं सच का,*
*कोई मुकाबला नहीं ।*
*मगर आज झूठ की,*
*पहचान बहुत है ।।*
*मुश्किल से मिलता है,*
*शहर में आदमी ।*
*यूं तो कहने को,*
*इन्सान बहुत हैं ।।*
Good morning jai shree radhamadhav,,