# काव्योत्सव २
आज यादोका बकसा खोला तो
एक पुरानी तस्विर निकल आई
तस्विरमेसे मासूम सी कली निकल आई
जिसकी आंखोमे कई सपने थे
उन सपनोमेसे खुश्बु निकल आई
दूर आसमानमे जाने क्या ढुंढती है
सोचके आंखोसे बारिश निकल आई
नही है पता उसे मुस्तक्बिलका कुछ भी
बस मुस्कुराते तस्विर खिचाने निकल आई
काश जिंदगी वहीं ठहर जाती उसकी
ठहर जाती हंसी होठोंपे जो निकल आई
यह रंग लेके,ब्लेक एन्ड व्हाईट कर दे कोई
सपनाके दिलसे एक आरजु निकल आई!!
सपना विजापुरा