मातृ दिवस पर देश की सभी ममतामयी माताओं को सादर प्रणाम एवं हार्दिक बधाई...????
मैं अपने छोटे मुख कैसे करूँ तेरा गुणगान,
माँ तेरी समता में फीका-सा लगता भगवान...
माता कौशल्या के घर में जन्म राम ने पाया,
ठुमक-ठुमक आँगन में चलकर सबका हृदय जुड़ाया...
पुत्र प्रेम में थे निमग्न कौशल्या माँ के प्राण,
माँ तेरी समता में फीका-सा लगता भगवान...
दे मातृत्व देवकी को यसुदा की गोद सुहाई,
ले लकुटी वन-वन भटके गोचारण कियो कन्हाई...
सारे ब्रजमंडल में गूँजी थी वंशी की तान,
माँ तेरी समता में फीका-सा लगता भगवान...
तेरी समता में तू ही है मिले न उपमा कोई,
तू न कभी निज सुत से रूठी मृदुता अमित समोई...
लाड़-प्यार से सदा सिखाया तूने सच्चा ज्ञान,
माँ तेरी समता में फीका-सा लगता भगवान...
कभी न विचलित हुई रही सेवा में भूखी प्यासी,
समझ पुत्र को रुग्ण मनौती मानी रही उपासी...
प्रेमामृत नित पिला पिलाकर किया सतत कल्याण,
माँ तेरी समता में फीका-सा लगता भगवान...
विकल न होने दिया पुत्र को कभी न हिम्मत हारी,
सदय अदालत है सुत हित में सुख-दुख में महतारी...
काँटों पर चलकर भी तू ने दिया अभय का दान,
माँ तेरी ममता में फीका-सा लगता भगवान...????