Hindi Quote in Poem by सीमा भाटिया

Poem quotes are very popular on BitesApp with millions of authors writing small inspirational quotes in Hindi daily and inspiring the readers, you can start writing today and fulfill your life of becoming the quotes writer or poem writer.

#काव्योत्सव_भावपूर्ण_कविता

प्रेम में बुद्ध

मैं प्रेम में बुद्ध होना चाहती थी
हां प्रिय! जानती हूं इतना सरल नहीं है यह
वैसे भी मैंने बुद्ध को पढ़ा ही कितना है?
सुना है, बुद्ध ने खुद को हार जाना कबूल किया जीतकर भी
बिल्कुल वैसे ही मैं खुद को समर्पित कर हार जाना चाहती थी।
और उस हार के अद्भुत आनंद में डुबो देना चाहती थी खुद को...

फिर एक दिन बुद्ध ने घर परिवार त्याग दिया था
निर्वाण की प्राप्ति के लिए यह जरूरी भी था
पर, यहां मैं जाने क्यों थोड़ा सा पीछे रह गई?
मैं कहां छोड़ पाई अपने भीतर के उस वजूद को
जो समेटे बैठा था ख्वाहिशों का एक अधूरा बवंडर
मोह, माया, ममता के उस पाश को काटने के चक्कर में
कर लिया लहूलुहान अपने ही हाथों को और फिर
उन्हीं रक्तरंजित हाथों से जब तुम्हारी तरफ हाथ बढ़ाया
तो छिटक दिया तुमने कुछ इस बेरहमी से
मानो तुम इस चाहत के समर में खुद बुद्ध बन जाना चाहते थे।

और मुझे यशोधरा बन बैठना था सारी उम्र
उस राजमहल के अकेले सूने कोने में
काटते हुए एक अनंत वनवास अकेले ही
जानती हूं कि इस तपती देह को नहीं मिलेगी
अब वो शीतलता, जो तृप्त करेगी अरमां मेरे
अश्रुपूरित नयनों से आखिर मैंने ही विदा किया तुमको
होंठों पर इक स्मित मुस्कान सजाकर
उस राह की ओर, जहां जाने के लिए सब द्वार खुले थे
पर वापसी के लिए एकमात्र द्वार, जो मेरे मन से होकर गुजरता था
हमेशा हमेशा के लिए मैंने खुद ही बंद कर दिया था।...सीमा भाटिया

Hindi Poem by सीमा भाटिया : 111162918
New bites

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now