#Kavyotsav -2
#हास्य


मुश्किल है अपना मेल प्रिये,
ये प्यार नहीं है खेल प्रिये,
तुम एम.ए. फर्स्ट डिवीजन हो,
मैं हुआ मैट्रिक फेल प्रिये,

तुम ए.सी. घर में रहती हो,
मैं पेड़ के नीचे लेटा हूँ,
तुम मारुति का नया मॉडल हो
मैं पुराना स्कूटर लेम्ब्रेटा हूँ,

इस तरह अगर हम छुप - छुप,
कर आपस में प्यार बढ़ायेंगे,
तो एक रोज़ तेरे डैडी
अमरीश पुरी बन जायेंगे,

सब हड्डी - पसली तोड़,
मुझे भिजवा देंगे वो जेल प्रिये,
मुश्किल है अपना मेल प्रिये,
ये प्यार नहीं है खेल प्रिये,

तुम क्रिसमस की सी जगमग जगमग
मैं मुहर्रम सी चीरती खाल प्रिये,
तुम दीवाली का बोनस हो,
मैं मजदूरों की भूख हड़ताल प्रिये,

तुम हिरनी कुलाँचे भरती हो,
मैं हूँ कछुए की चाल प्रिये,
तुम चन्दन वन की लकड़ी हो,
मैं हूँ बबूल की छाल प्रिये,

मैं अफ्रीकन बदसूरत सा
तुम कोमल कँचन काया हो,
मैं तन से, मन से कंगला हूँ,
तुम महाचञ्चला माया हो,

तुम हो पूनम का ताजमहल,
मैं काली गुफा अजन्ता की,
तुम हो वरदान विधाता का,
मैं गलती हूँ भगवन्ता की,

तुम बुलेट ट्रेन की शोभा हो,
मैं लोकल बस की ठेलमपेल प्रिये,
मुश्किल है अपना मेल प्रिये,
ये प्यार नहीं है खेल प्रिये,

तुम सुजाता की मिक्सी हो,
मैं पत्थर का सिलबट्टा हूँ,
तुम पिस्टल सी अचूक निशाना
मैं हाथ मे फटता देसी कट्टा हूँ,

तुम चित्रहार का मधुर गीत,
मैं कृषि दर्शन की झाड़ी हूँ,
तुम विश्व सुंदरी सी महान,
मैं ठेला छाप कबाड़ी हूँ,

तुम एप्पल का मोबाइल हो,
मैं टेलीफोन वाला चोंगा,
तुम मछली मानसरोवर की,
मैं सागर तट का हूँ घोंघा,

तुम जीनत अमान सी जुल्फ सुंदरी
मैं शेखर कपूर वाली दाढ़ी हूँ,
तुम नूतन जैसी चंचल चुलबुली
मैं राजकपूर सा अनाड़ी हूँ

मैं दिल्ली का गन्दा नाला
तुम निर्मल पावन गंगा हो,
तुम राजघाट का शान्ति मार्च सी
मैं जैसे कोई हिन्दू - मुस्लिम दंगा हो

तुम राबड़ी सी भोली भाली
मैं धूर्त चालाक लालू हूँ,
तुम मुक्त शेरनी जंगल की,
मैं चिड़ियाघर का भालू हूँ,

तुम मोदी सी व्यस्त व्यस्त
मैं अडवाणी - सा खाली हूँ,
तुम हँसी माधुरी दीक्षित की,
मैं पुलिस वाले की गाली हूँ,

तुम संसद की सुन्दरता हो,
मैं हूँ तिहाड़ की जेल प्रिये,
मुश्किल है अपना मेल प्रिये,
ये प्यार नहीं है खेल प्रिये ।

वाकई
बहुत ही मुश्किल है,
अपना मेल प्रिये..!

English Poem by S Kumar : 111160973
S Kumar 5 year ago

श्रीमान @Udayvir जी कवी कमी देखे और व्यंग लिखे तो जायज है लेकिन कवि खूबी देखे और ना लिखे तो ये भी नजायज है

S Kumar 5 year ago

अरे नही sir ,, आपके comments मेरे लिये और सुधार लाने में मदद करेंगे thanks ? ?? यूँ समझ लीजिए किसी नाचीज ने खुद के promotion के लिए श्री Sunil Jogi जी की पंक्तियों को इस्तेमाल कर लिया ???

S Kumar 5 year ago

श्रीमान @Udayvir जी , मैंने स्वरचित भी post की हैं , ये तो MB Team की और सब पाठकों की jurisdiction है so let them decide ? रही बात हूबहू लिखने में तो कुछ stanza मैंने change किये हैं ,चाहता तो बाकी भी change कर लेता , ज्यादा शब्द की भी बंदिश नही थी , लेकिन मैंने उनकी रचना के सम्मान के लिए Start और End same रखा और बीच मे ही change किया है

Udayvir Singh 5 year ago

बड़े और स्थापित रचनाकारों की शैली अपनाना अच्छी बात है आप लिखिए....उनसे भी बेहतर लिखिए, हमें अच्छी रचनाएँ पढ़ने को मिलेंगी तो हमें भी ख़ुशी होगी। यह एक सार्वजनिक और सामाजिक मंच है, मुझे जो उचित लगा वो लिखा, बाक़ी आप स्वतंत्र हैं कुछ भी लिखने और पोस्ट करने के लिए। अगर आपको मेरी टिप्पणी से कोई असुविधा हई हो..तो क्षमा ?? ।

Udayvir Singh 5 year ago

श्रीमान जी आप एक प्रतियोगिता (कव्योत्सव ) में अपनी प्रविष्टि भेज रहे हैं तो स्वत: स्पष्ट ही है कि रचना स्वरचित ही होनी चाहिए। रही बात किसी बड़े रचनाकार की पद्धति / पैटर्न पर रचना लिखना तो हम वहाँ से छंद, रस, कथानक , शैली अवश्य ही ले सकते हैं किंतु पंक्तियों को हुबहू लिखना कहीं से भी उचित नहीं है। बाल्मीकी रामायण और तुलसीकृत रामचरितमानस मानस में केवल कथानक में ही समानता है बाक़ी रचनाकर्म दोनों का अपना अपना मौलिक ही है। यहाँ तक कि दोनों की भाषा ही अलग है एक संस्कृत में तो दूसरी हिंदी(अवधी) में है।

S Kumar 5 year ago

Ramayan की रचना सर्वप्रथम महृषि वाल्मीकि जी ने कि थी उसके बाद गोस्वामी तुलसीदास जी व अन्य महान संतों ने भी उसी को सरल करके अपनी अपनी भाषा मे लिखा है तो इसे क्या कोई अशोभनीय कार्य कहा जायेगा ?? मेरा मकसद हास्य से था , और लिख दिया अगर कोई गलती है तो matrubharti की team है आप report कर सकते है अगर मेरी वजह से आपको कोई ठेस पहुंची हो तो I am very Sorry ?

S Kumar 5 year ago

श्रीमान #Udaivir जी मैंने कब लिखा है की ये मेरी रचना है कोई नीचे नाम भी नही लिखा और ये भी कहाँ लिखा है कि स्वरचित ही post करनी है मैं खुद पदमश्री Sh Sunil Jogi जी को बहुत पढ़ता हु इस कविता के pettern पर पिछले 10 सालों में सैकड़ो और हास्य रचनाएं भी अलग अलग लोगों ने बनाई हैं मैंने खुद अपनी story "पहला घूँट" इसी कविता के pattern पर लिखी है , उसमे सारे शब्द मेरे ही है ,, समय मिले तो plz पढ़ना अगर किसी महान रचना कार के pattern को follow करता हु तो ये मेरी उनके प्रति श्रद्धा है

Udayvir Singh 5 year ago

श्रीमान जी आदरणीय सुनील जोगी जी द्वारा लगभग दो दशक पहले लिखी गयी हास्य कविता को आप एकाध पंक्ति में मामूली सा बदलाव करके आप आपने नाम से प्रकाशित कर रहे हैं। ये आशोभनीय है।

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