Hindi Quote in Poem by Neelima Sharma

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शाम का वक़्त हैं
और मैं यहाँ तनहा
तुम्हारी यादो के संग हूँ
आलू के परांठो की सोंधी सुगंध
तुम्हारा जल्दी से आना
और आते ही कहना
लंच टाइम हैं
जल्दी जाना होगा
शाम को मिलती हूँ
कहकर मुझे बहलाना!

शाम को तुम्हारी सहेली का इर्द- गिर्द होना
विपरीत रास्ता होने पर भी
मेरा भीड़ में
बस पर तुम्हारे साथ चढ़ जाना
और महसूस करना
रस्ते भर तुम्हारी खुशबू
और महक को
भर लेता था अंतर्मन में
गहरी साँसे खींचकर चुपके से

करवटे बदल कर
उस दिन की
रात गुजर जाती थी
सुबह के इंतज़ार में
एक बार फिर से
लंच टाइम की बात में


अब तुम दूर देश में
अपने अपने वाले के साथ
जब बनाती होगी
आलू के मसालेदार पराँठे
और लगाती होगी खुलकर ठहाके
तो कही न कही
कोई कोना
जरुर कसकता होगा
और तुम मेरे नाम से भी
एक कौर जरूर खाती होगी
मजबूरियाँ क्या नही करवाती नीलिमा

जानती हो सामने वाली बेंच पर
एक जोड़ा खा रहा हैं लंच बॉक्स से
आलू के मसालेदार पराँठे
खुशबू सारे माहौल में हैं
परांठों के साथ खिलखिलाहट भरी
उनकी मोहब्बत की भी

पर ..लगता है
फिर से एक नया इतिहास लिखा जायेगा
और कोई फिर मेरी तरह ऐसे ही
पेड़ के नीचे यादो में खोया करेगा

चलो जाने दो !!
तुम खुश तो हो न नीलिमा
मैंने तो आलू के पराँठे खाने ही छोड़ दिए ................#नीलिमा #निविया

Hindi Poem by Neelima Sharma : 111160674
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