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एक अच्छी #मां सौ #गुरुओं के बराबर होती है। बच्चे के लिए मां ही प्रथम #स्कूल है। जितने भी महान लोग हुए हैं, उनके व्यक्तित्व निर्माण, भविष्य संवारने एवम् सूरज की तरह चमकने में मां की #परवरिश का बहुत बड़ा योगदान होता है। ऐसी ही मांओं में से एक फरीदुद्दिन गंज शकर (रह.) की मां थीं। उनकी परवरिश से उनके बच्चे ने यश, मान सम्मान की ऊंचाइयों को छुआ। फरीदुद्दीन की मां का ये रोज का नियम था, कि वो रोजाना मुसल्ले (नमाज पढ़ने के लिए बिछाए जाने वाले मैट) के नीचे शक्कर की पुड़िया रख देती और कहती, जो बच्चे नमाज पढ़ते हैं उनको मैट के नीचे से शक्कर की पुड़िया मिलती है। इसका उनके मन पर गहरा असर हुआ, और वे बचपन से ही नियमित, बेनागा नमाज पढ़ने एवं खुदा को स्मरण करने लगे। वे कभी भी नमाज अदा करना नहीं भूलते थे। आगे चलकर इसी वजह से उनको गंज शकर के नाम से ही प्रसिद्धि मिली।