#Moral Stories
✍️
#सुनो , बहू क्या लाई हो______
#शादी को कुछ ही वक़्त हुआ है......। मायके से ससुराल वापसी पर...., #सासू मां और #संग सहेलियां पूछने लगती हैं अक्सर .... मायके गई थी #क्या #क्या लायी...। एक तो वैसे ही मायके से आकर मन वहीं के #गलियारों में #भटकता रहता है.....,उस पर सभी का बार बार पूछना, हो सकता है ससुराल के हिसाब से #सामान कम हो, लेकिन जो मैं अपने साथ लाई हूं उसे कैसे #दिखाऊं ???????? क्या दिलाया भाई ने, भाभी ने भी तो कुछ दिया ही होगा..... अब भाई के #स्नेह को कैसे दिखाऊँ ..... समझाऊं। भाभी के #लाड़ को कैसे तोल के बताऊँ .... दिन भर तुतलाती, बुआबुआ कह कर मेरे पीछे भागने वाली प्यारी भतीजी, गोद में चढ़ने को आतुर, उस प्यार को किसे समझाऊं ??? ......... छोटी बहन जो ना जाने कब से मेरे आने का इंतजार कर रही थी!!!! अपने मन की बातें सुनाने को, मेरी सुनने को बेताब। मेरी नईनई साड़ियां पहन कर, रोजाना इतराती आइने के सामने खड़ी हो जाती है!!! लेकिन ससुराल आते समय अपनी जेब खर्च के #बचाए #पैसों से, मेरे लिए नई ट्रेंड का ड्रेस रखना नहीं भूलती, कहती है, कोई नहीं, कहीं घूमने जाओ तो पहनना। उसे भी नहीं समझा पाती, कहां जाऊंगी मैं घूमने !!!!!!!, पर ये उसके प्यार का तरीका है। और पापा, उनके तो सारे काम ही #पोस्टपोंड कर दिए जाते हैं, पापा और मेरी बातें जैसे खत्म होने का नाम ही नहीं लेती हैं। #मां और #दादी कहती हैं, #चहकने दो इसे !!!!!!!!!!!, फिर ना जाने कब आएगी। घर पर #सन्नाटा अब टूटा है। उनका तो रसोई से ही निकलना नहीं होता। आई तो अकेली मैं ही हूं पर लगता है, घर में #त्यौहार चल रहा है। अब बताइए उस #जश्न , #खुशी की #पोटली को कहां से खोलकर दिखाऊं !!!!!!!!!!! उस के लिए #आंखें भी तो #मेरी वाली होनी चाहिए ना। #भौतिक सामान को उनकी बींधती आंखें। उफ़!!! अब परवाह करना छोड़ दिया है। उस प्यार को जब भी पैसे, उपहारों से तोलेंगे, इस #प्यार का रंग फीका पड़ जाएगा ..... स्नेह के धागों से बुनी चादर हमेशा मेरे सर पर बनी रहे, इससे ज्यादा मुझे कुछ चाहिए भी नहीं ...... पीहर में आकर अपना #बचपन फिर से जीने आती हूँ मैं बस, !!!!!!! इस लेनदेन के चक्कर में तो मायके जाना भी #गुनाह सा लगता है ..........
भूल जाती हूँ जिंदगी की #थकान को ... फिर से तरोताज़ा होकर लौटती हूँ, नई #ऊर्जा के साथ, अपने #आशियाने में और ससुराल में सब, संगसहेलियां पूछती हैं क्या लाई दिखा ???????.......... अब की बार सोच लिया है, कह दूंगी हां लाई तो बहुत कुछ हूं, पर वो आंखें भी तो होनी चाहिए, देखने के लिए। और वो आंखें मेरे पास हैं, उनसे मैं देख ही नहीं, उस प्यार की गरमाहट को #महसूस भी कर पाती हूं। वो, उनको नहीं दिखा पाती, दिखाऊँ भी कैसे .... वो तो दिल की #तिजोरी में बन्द है ..... जब भी उदास होती हूं, खोल लेती हूं, उस तिजोरी के बन्द दरवाजे....... और हो जाती हूं, फिर से #तरोताजा .......