तुम इस नज़र से मत देखो मुझे, क्या पता मुझे ढूंढ ने से जो न मिला वो मिल जाए तुम्हारे देख ने से,
तुम जो पूछो वो में बिना वजह बता दूंगा, बस एक दरख्वास है तुम से कि उसकी वजह मत पूछना,
तैरने में तो सारा समंदर तैर लू, पर क्या करूँ आज में खुद को डूबने से बचा न सका,
क्यों पूछते ही मेने कहा समंदर के अंदर तैर लेना तो सिखा है,
पर ये तेरी आँखों का केसा मंज़र है जिस में तैर ने वाला भी डूब जाए,
तुम इस नज़र से मत देखो मुझे, क्या पता मुझे ढूंढ ने से जो न मिला वो मिल जाए तुम्हारे देख ने से,
जय गुजरात, जय गुजराती
✍कुबावत गौरांग
कुछ चीज़ें वक़्त के साथ बदलती है अगर यकी न आए मेरी बात पे तो 'वक़्त' को ही देखलो आप खुद समझ जाएंगे।