1 #करोड़ 96 #लाख_से_अधिक हिन्दुयोँ नें कल कुंभ के प्रथम दिन संगम में स्नान किया ।
सहश्त्रों वर्षों से, कुंभ में स्नान करने से पहले किसी से उसकी जाति या वर्ण नही पूछा जाता ।
पास में नहाते व्यक्ति से कोई नही पूछता कि वो किस जाति, वर्ण या प्रदेश से आया है ।
सर पे शिखा है या नही?
जनेऊ धारी है या चर्मकार !!
क्योंकि वहाँ ना कोई चमार आता है, ना वैष्णव, ना कोई कुर्मी आता है ना राजावत । ना कोई ब्राह्मण आता है ना शूद्र ,,,,,?कुंभ में सिर्फ हिन्दू आता है ?
ये वही कुंभ है जहाँ सम्राट हर्षवर्धन भी नहाते थे, तो नागा सन्यासी भी । ये वही कुंभ है जहाँ शंकराचार्य भी नहाए थे तो कालू भंगी भी ।
माँ गंगा और माँ यमुना के तटों पर मीलों तक पैदल साथ चलने में, हर हर महादेव का घोष करने में, त्रिवेणी की पावन धाराओं में स्नान करने में -- जब हमनें कभी कोई भेद ना किया, कोई छूआछूत ना की -- तो वो कौन लोग हैं जो हम पर भेदभाव का आरोप लगाते हैं ??
वो कौन लोग हैं जो हमारी संस्कृति और विरासत को बदनाम करते हैं ?????
इस षडयंत्र को समझना होगा ।
▪जो लोग, बिना किसी निमंत्रण, बिना किसी आह्वान, करोड़ों लोगों के एक नियत स्थान पर, एक नियत तिथी पर एकत्र होने से भयभीत हैं,,,,,
▪जो लोग हमारी संस्कृति के मूल आधार को नष्ट करके हमें समाप्त करने को यत्नशील हैं,,,,,
▪जो लोग सनातन धर्म के अस्तित्व को नष्ट कर देने को सन्कल्पित हैं,,,,,
वही इस मिथ्या तथ्य(झूठ) को प्रचारित करके हमें बाँट रहे हैं कि हम अपने ही लोगों से छूआछूत करते थे ।
हमें उनके स्पर्श से आपत्ति थी ।
हमें उनका साथ पसन्द नही था ।
यदि ऐसा होता --- तो मकर संक्रान्ति से महाशिवरात्रि तक के 50 दिनों में क्या हम उन्हें _(जिन्हें अस्पर्श्य बताया जाता है)_ अपने साथ हमारे पवित्रतम उत्सव में सम्मिलित होने देते ?
जहाँ हमारे सबसे पूज्य और सम्माननीय धर्मगुरु और विप्र स्नान, भजन और भोजन करते -- वहाँ उन्हें प्रवेश से वंचित ना रखते ??????
ये कुंभ--- प्रमाण है सनातन धर्म के एकात्म और सार्वभौमिक स्वरूप का जो विश्व के हर प्राणी को बिना किसी भेद, बिना किसी भाव-- स्वयं के अन्दर समाहित रखता है ।
आइये, इस कुंभ में, कुछ विधर्मी राक्षसों द्वारा पल्लवित, पोषित और प्रचारित कलुषित विचारों को तिलांजली दे कर स्वयं को पवित्र करें ।
आइये कुंभ चले,,,,,,,,,,,,,,,,?????
हर हर महादेव