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*"प्रतिकूलताएँ" सामने आने पर जो अपने "धैर्य," "साहस" और "प्रयास" का अनुपात बढ़ा देते हैं, वे उस संकट को पार ही नहीं कर लेते वरन सर्व साधारण की दृष्टि में अपनी गरिमा में चार चाँद लगा देते हैं ।"*
*. सोने का खरा होना, कसौटी पर कसे जाने और आग में तपने पर ही सिद्ध होता है । इसके बिना उसकी प्रामाणिकता पर कहाँ कोई विश्वास करता है ? मानने को तो किसान भी "अभागा" कहा जा सकता है, "जो पूरे साल कड़ी मेहनत करता और "प्रतिकूलताओं" से जूझता है ।" पर जब उस प्रयास के फलस्वरूप कोठे भरा अनाज घर में आता है तो सभी की बांछे खिल उठती है और समझा जाता है कि "कठोर परिश्रम में निरत होना और कठिनाइयों से जूझना उस समय कैसा ही क्यों न लगे पर अंततः "संतोष" और "आनंद" का निमित्त कारण ही होता है ।"*
*जय श्री कृष्ण*