Hindi Quote in Quotes by Prabodh Kumar Govil

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फ़िल्म या सीरियल कोई ऐसा हो सकता है कि आपको अपने परिवार के साथ बैठ कर देखने में झिझक लगे। लेकिन किताब कोई भी ऐसी नहीं होती। क्योंकि किताब को कई लोग एक साथ आंखें गढ़ा कर नहीं पढ़ते। अलग अलग पढ़ते हैं। ठीक वैसे ही,जैसे घर के वाशरूम में सब अलग अलग बारी बारी से जाते हैं। सब एक सी अवस्था में वहां जाकर आते हैं,फिर भी झिझकने की ज़रूरत नहीं होती क्योंकि एक साथ नहीं जाते।
किताबें ही तो हैं जो हमें "जीवन" सिखाती हैं।यदि इनमें से भी अश्लीलता के नाम पर बातों को मीन मेख निकाल कर हटाते रहेंगे तो सीखने का साधन क्या है?
जो लोग अपने आप को घोर संस्कारी, शुद्ध विचारों वाला और न जाने क्या क्या कहते नहीं थकते,वे भी पुत्र का विवाह होने पर हाथ में दूध का गिलास देकर अपनी नई नवेली पुत्रवधू को अकेले में पुत्र के कमरे में भेज देते हैं।
सोचिए,यदि ऐसे में उनका पुत्र उनके सामने आकर कह दे कि इसे क्यों भेजा है,क्या करूं? तो उनका क्या हाल होगा! वे क्या जवाब देंगे?
पर ऐसा नहीं होता,वे ये मानकर चलते हैं कि उनका पुत्र सब जानता है! उनकी पुत्रवधू को जीवन के सब रहस्य मालूम हैं!
इसका अर्थ ये है कि उन्होंने ये सब कहीं से तो सीखा जाना होगा ही ?
सब किताबों से ही जानते हैं।तो यदि किताबों में ये नहीं होगा तो कैसे काम चलेगा!
फ़िर अच्छी किताब, गंदी किताब कहने वाले हम कौन? साहित्य में अश्लीलता की कोई जगह नहीं।

Hindi Quotes by Prabodh Kumar Govil : 111063098
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