पचास और साठ के दशक से ही फ़िल्म संगीत का बेहद लोकप्रिय कार्यक्रम बिनाका गीत माला रेडियो सीलोन से आरंभ हुआ। यह कार्यक्रम दो तीन कारणों से फिल्मी गानों का सबसे प्रामाणिक कार्यक्रम बन गया था- 1. इसके उद्घोषक अमीन सयानी आवाज़ की दुनिया के ऐसे जादूगर थे जिन्होंने लोकप्रियता के सब मानदंड अपने हिसाब से रचे। वे इस कार्यक्रम का पर्याय बन गए। 2. इसमें चुने जाने वाले गीतों को देश की जनता और संगीत की दुनिया के दिग्गज मिल कर चुनते थे, जिससे यह फ़िल्म संगीत का सबसे विश्वसनीय पैमाना बन गया था।
अभिनेत्री साधना पर फिल्माया गया फ़िल्म "इंतकाम" का गीत 'कैसे रहूं चुप कि मैंने पी ही क्या है, होश अभी तक है बाक़ी, और ज़रा सी दे दे साकी...'इसमें वर्ष 1969 का साल भर का सर्वश्रेष्ठ गीत चुना गया।