किसी किताब को उसकी समीक्षा के बाद पढ़ना ऐसा ही है जैसे कोई मनपसंद स्वादिष्ट व्यंजन चम्मच से खाना।
कई लोग कहते हैं कि चटनी खाने का जो मज़ा हाथ से आता है वो चम्मच से नहीं आता।ये बात बिल्कुल सही है, और इसका वैज्ञानिक आधार भी है। स्वाद कलिकाएं, जिनसे हमें किसी चीज़ का स्वाद आता है, वो हमारी जीभ पर बीचोंबीच होती हैं। जब हम चम्मच से खाते हैं तब स्वाद कालिकाएं चम्मच के नीचे दब जाती हैं और खाना उसके इर्द गिर्द चम्मच से गिरता है। जबकि अंगुली से खाने पर पदार्थ सीधा स्वाद कलिकाओं के ऊपर जाता है और आपकी अंगुली उसे ऊपर से दबाती है जिससे स्वाद और ज़्यादा आता है।
तो चटनी अंगुली से खाइए और किताब समीक्षा को पढ़े बिना पढ़िए। मज़ा आयेगा।
फ़िल्म भी ऐसे ही देखिए, कभी किसी से ऐसा सुनकर नहीं, कि अच्छी है देखो।